इसे खाओ तो समझो बेड़ा गर्क

मिठाइयों व पान को सुन्दर दिखाते हैं ये चांदी के वरक


इसे खाओ तो समझो बेड़ा गर्क]


बारीक वरक बनाने के लिए पशुओं की अंतड़ियों में रखकर चांदी को जाता है कूटा]


नई दिल्ली। मिठाई, पान व इलायची में सजा कर उसे सुन्दर बनाने वाला चांदी का चरक कैसे बनता, इसकी हकीकत जानकर इन वस्तुओं का सेवन करने वाले न केवल चौकेंगे बल्कि, जिंदगी भर इस तरह की पान मिठाइयों आदि न छूने का संकल्प भी ले लेंगे। ये चौकाने वाली सच्चाई सामने आई है कि इस चांदी के वरक को बारीक बनाने में गायों और गोवंशों की अंतड़ियों का इस्तेमाल होता है। इसकी शिकायत पर सरकारी स्तर पर जांच पड़ताल भी की जा चुकी है। जांच करने वाली फूड सेफ्टी सरकारी एजेंसी ने चरक की सच्चाई का पता लगाकर इस पर कार्रवाई भी की है किन्तु सरकारी कार्रवाई का कितना असर हुआ है, यह अभी जांच का विषय है।


कैसे बनता है वरक


इस बारे में मिली जानकारी के अनुसार चांदी का वरक बनाने की प्रक्रिया ऐसी है कि हकीकत जानने के चाद, चरक लगी मिठाइयों का सेवन करने वाला कोई भी व्यक्ति भीतर से हिल जायेगा। चांदी के पतले-पतले टुकड़ों को गायों और बैलों की आंत में लपेट कर एक के अभी ऊपर एक (परत दर परत) रखा जाता है कि एक स्रोल बन जाए। फिर इस खोल को लकड़ी के हथौड़ों से तब तक पीटा जाता है, जब तक चांदी के पतले टुकड़े फैलकर महीन वरक में न बदल जाएं। गोवंश की आंत की सबसे बड़ी सूची होती है कि यह काफी मुलायम और मजबूत होती है। जिसकी वजह से जल्दी नहीं फटती है। इसीलिये इसका उपयोग किया जाता है।


171 जानकारों के मुताबिक 10 ग्राम चांदी में 160वरक बनाए जाते हैं। गाय या बैल की आंत की औसत लम्बाई 540 इंच और उसका व्यास 3 इंच होता है, जिसे काट कर 540 इंच लम्बा और लगभग 9.5 इंच चौड़ा टुकड़ा तैयार किया जाता है। जिसे टुकड़ों में काट कर 9 इंच लम्बे और 9.5 इंच चौड़े 60 टुकड़े तैयार किये जाते हैं। इसी तरह 171 टुकड़ों की एक डायरी बनती है और उनके बीच 3 इंच चौड़े और 5 इंच लम्बे चांदी के टुकड़े रख कर पीटा जाता है। रखा वरक बनाए जाते हैं। गाय या बैल । की आंत की औसत लम्बाई 540 हथौड़ों इंच और उसका व्यास 3 इंच होता है, जिसे काट कर 540 इंच लम्बा और लगभग 9.5 इंच चौड़ा टुकड़ा तैयार किया जाता है। जिसे टुकड़ों में काट कर 9 इंच लम्बे और 9.5 इंच मजबूत चौड़े 60 टुकड़े तैयार किये जाते हैं। जल्दी इसी तरह 171 टुकड़ों की एक इसका डायरी बनती है और उनके बीच 3 इंच चौड़े और 5 इंच लम्बे चांदी के टुकड़े रख कर पीटा जाता है। 171 पन्नों की एक डायरी बनाने के लिये 3 गायों को अंतड़ियों का उपयोग किया जाता है। एक डायरी से 48000 हजार वरक बनते हैं। यानी एक गोवंश की अंतड़ी से 16000 वर्क बनाये जाते हैं। इन अंतड़ियों को जिस जिल्द के भीतर सिलते हैं, उन्हें भी इन्हीं पशुओं के चमड़ों से बनाया जाता है। एक डायरी में औसतन 232 वर्ग इंच चमड़ा लगता है। यानी उससे 10 डायरियों को जिल्में बन सकती हैं। कुछ रसायनों के घोल में पूरी रात रखने के बाद इन पर चमड़े का कवर चढ़ाया जाता है। इसे 6 से 8 महीने तक काम में लिया जा सकता है। एक अनुमान के मुताबिक देश में सालाना लगभग 275 टन चांदी के वर्क की खपत होती है। इसे बनाने का काम मुख्य रूप से कानपुर, जयपुर, अहमदाबाद, सूरत, इंदौर, रतलाम, पटना, भागलपुर, वाराणसी, गया और मुंबई में होता है। 


क्या होता है वरक


वंदीकेवरक का भारत के अलावा पकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश आदि में उपयोग मिलाईयों और व्यजनों को सजाने के लिए किया जाता है। चादीको खाया जा सकता है हालकि, यह पूर्णतया स्वादविहीन होती है।वरक बनाने के लिए वंदीको पीट पीटकर एकचदरमदाला जाता है और इसकी मोटाई मात्र कुछ मरकोमीटरही रह जाती है। इसे सहेजने के लिए इसे कागज की परतों के बीच रखा जाता है और इसे उपयोग से पहले इनकागजों में से निकालाजत है। कहळूत हीनजुक होता है और राष्ट्रलेपरलेटे-बेटे टुकड़ों में टूट जाता है। पन्नों की एक डायरी बनाने के लिये सकती हैं। कुछ रसायनों के घोल में