जब पृथ्वीराज चौहान ने एक ही तीर ११. में मार गिराया था मोहम्मद गौरी
गाजियाबाद। चर्सत पंचमी का पर्व पूरे देश में हर्षोल्लास से मनाया गया। गाजियाचाद में भी बसंत पंचमी की सूच धूम रही। सरस्वती के पूजन के साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। लेकिन क्या आपको पता है कि वसंत पंचमी के दिन ही देश पर आक्रमण करने चाले मोहम्मद गौरी को पृथ्वीराज चौहान ने मारा था। इसलिए वसंत पंचमी के दिन हिन्दू सम्राट पृथ्वी राज चौहान का भी स्मरण किया जाता है। वसंत पंचमी का पर्व हमें खेतों में चारों तरफ पीली-पीली सरसों के फूलों की छटा की याद दिलाता है व विद्या की अधिष्ठाता देवी मां सरस्वती को पूजन व स्मरण करके प्रसन्न करने के लिये भी प्रतीक्षित रखता है। इसके साथ इतिहास के पन्नों में एक ऐसी भी घटना में दर्ज है जिसे नई पीढ़ी का याद दिलाना बेहद जरूरी है। हिन्दू धर्म के लोग इस दिन पर गर्व से हिन्दू शिरोमगि पृथ्वी राज चौहान को इसलिए स्मरण करते हैं कि उन्होंने इसी बसंत पंचमी के दिन विदेशी इस्लामिक आक्रमणकारी मोहम्मद गौरी का वध किया था। पृथ्वीराज चौहान जितने बहादुर थे उतने ही हृदय उदार सम्राट भी थे। उन्होंने मोहम्मद गौरी को 16 बार युद्ध में पराजित किया और उसे बगैर मारे हर बार जिन्दा छोड़ दिया था। पृथ्वीराज चौहान को चाहते तो मोहम्मद गौरी को युद्ध में मार लिये सकते थे या उसे गुलाम बना सकते थे। इतिहास लेकिन एक उदार राजा का दिल होने के है कारण पृथ्वीराज चौहान ने उन्हें हर चार बेहद क्षमा किया। लेकिन जब 17वीं बार युद्ध पर करने पर एक साजिश के तहत पृथ्वीराज चौहान चौहान हार गये तो दुदान्त मोहम्मद गौरी ने इसी वो गलती नहीं की जो पृथ्वीराज चौहान हर इस्लामिक बार करते आ रहे थे। मौहम्मद गौरी ने किया तुरन्त पृथ्वीराज चौहान को बन्दी बनाकर थे अपनी कैदखाने में डाल दिया तथा उनकी उन्होंने दोनों आंखें भी निकाल ली थीं। पृथ्वीराज पराजित चौहान के राजकवि चन्द वरदाई उनसे मिलने काबुल पहुंचे तो जेल में अपने सम्राट की दयनीय दया देखकर वह द्रवित हो गये और उन्होंने मोहम्मद गौरी से बदला लेने की योजना बनाई। कवि चन्द वरदाई, मोहम्मद गौरी के पास जा पहुंचे, उन्होंने मौहम्मद गौरी को बताया उनके सम्राट पृथ्वीराज चौहान बहुत बड़े धनुर्थर हैं तथा आंखें न होते हुए भी शब्दभेदी बाण चलाकर सात नवों को भेद सकते हैं। गौरी को आश्चर्य हुआ तथा पृथ्वीराज चौहान की इस कला को देखने का मन बनाकर, पूरा दरबार सजा लिया तथा एक ऊंचा मंच सजकर उस पर बैठ गया। पृथ्वीराज चौहान, चूंकि अंधे थे इसलिये किसी को उनकी तरफ से कोई खतरा नहीं था और उनक हाथ में धनुष बाण दे दिये। मौहम्मद गौरी ने सात तवे सड़े करा दिये और पृथ्वीराज चौहान से अपनी कला दिखाने को कहा। इसी बीच राजकवि, पृथ्वीराज चौहान से पहले ही गुप्त मन्त्रणा कर सारी योजना बता चुके थे। राजकवि चन्द वरदाई, कवि के साथ- साथ एक बड़े गणितज्ञ भी थे। उन्होंने पृथ्वी राज चौहान को एक दोहा सुनाकर मोहम्मद गोरी के बैठने के स्थान की ऊंचाई बता दी, चन्द वरदाई ने पृथ्वी राज चौहान को यह दोहा सुनाया। चार बांस. चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण ताऊपर सुल्तान है.चूको मत चौहान पृथ्वीराज चौहान ने उसी दिशा में गणना करते हुए ऐस बाण चलाया कि मोहम्मद गौरी मंच से घायल होकर नीचे आ गिरा तथा उसकी तत्काल मृत्यु हो गई। चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई। तब कविराज वरदाई व पृथ्वीराज चौहान ने कटार मारकर एक दूसरे की जीवन लीलाएं समाप्त कर ली। उस दिन सन् 1192 को बसंत पंचमी का ही पर्व था। इसीलिये हिन्दुओं को बसंत पंचमी पर्व को हिन्दू शौर्य दिवस के रूप में मनाना चाहिए।