माननीयों पर सरकार क्यों  है मेहरबान

आम आदमी की 2.50 लाख की कमाई पर इनकम टैक्स,माननीयों की 24 लाख की कमाई भी टैक्स फ्री


'माननीयों पर सरकार क्यों  है मेहरबान


 नई दिल्ली। हमारे देश की कर व्यवस्था से ही देश के विकास कार्य होते हैं, इनसे वे लोग भी लाभान्वित होते हैं जो कर देने में सक्षम नहीं होते हैं लेकिन इस देश में सत्ता संचालन के भागीदार माननीय सांसद व विधायक ऐसे हैं जिनकी आमदनी पर कर नहीं लगाया जाता है। यह प्रश्न सभी के मन में आता है कि लम्बी-चौड़ी रकम कमाने वाले इन सांसदों और विधायकों को आयकर से छूट क्यों दी जाती है। इन माननीयों को मोटी सैलरी के अलावा अनेक तरह की सरकारी सुविधाएं भी प्राप्त होती हैं। मुफ्ता आवास व सस्ते भोजन वाली कैन्टीन आदि सुविधाएं भी दी नाती हैं। यहां पर खाने-पीने की चीजें बाजार रेट से दस गुना कम दरों पर उपलब्ध कराई जाती हैं। चुनाव आयुक्त और यूपीएससी से आने वाले शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों को मिलने वाली आयकर की छूट को समाप्त किया जा रहा है। हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बारे में एक व्यवस्था लागू करने का ऐलान किया है। अभी तक मुख्य चुनाव  आयुक्त, चुनाव आयुक्त और यूपीएससी से आने वाले शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों व अवकाश प्राप्त अध्यक्ष एवं सदस्यों को कई भत्तों पर आयकर की छूट मिलती थी। अब ये छूट समाप्त की जा रही है। वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष 2020-21 के बजट प्रस्तावों में इससे संबंधित एक प्रस्ताव शामिल कर दिया गया है, जिससे इन लोगों को मिलने वाली छूट 2021-22 इसका से मिलनी समाप्त हो जाएगी। वित्त 1991 विधेयक 2020 में कहा गया है कि हैअभी देश के मुख्य चुनाव आयुक्त संशोधन और आयोग के अन्य आयुक्तों को यह किराया मुक्त आवास के मूल्य, वाहन सुविधा, गेस्ट एलाउंस, विधायक चिकित्सा सुविधा और कुछ अन्य निर्वाचन सुविधाएं उच्चतम न्यायालय के इसलिए न्यायाधीश के समान मिलती हैं। नहीं  इसका उल्लेख चुनाव आयोग कानून 1991 की धारा 8 में किया गया है। अब इस कानून में धारा 8 में संशोधन किया गया है। अब उनको यह छूट नहीं मिलेगीसंसद के सदस्य और पारिश्रमिक विधायक जनता द्वारा अपने अधिनियम निर्वाचन क्षेत्र से चुने जाते हैं। वेतन इसलिए उन्हें सरकारी कर्मचारी इसलिए नहीं माना जाता है। इसलिए उनके लगता पारिश्रमिक को आयकर होने अधिनियम की धारा 15 के तहत सकता वेतन के रूप में नहीं माना जाता है। विधायक इसलिए इस पर आयकर नहीं लगता है। इनकी अन्य स्रोतों से सरकारी कर रहे हैं, तो उन्हें कर्मचारी माना जाएगा। इस तरह के पद से प्राप्त वेतन पर आयकर लगाया जा सकता है। सांसदों और विधायकों को मिलने वाले दैनिक भत्ते को आयकर से मुक्त रखा गया है। आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 10 (17) के तहत्त सांसदों विधायकों को छूट दी जाती है। इसके अलावा जनता से जुड़ी योजनाओं के काम आने वाले खचौ तथा उनके प्रचार-प्रसार से जुड़े खचौ, कार्यालय के खचों को आईटी अधिनियम की धारा 10 (14) की निर्धारित सीमा में छूट दी जाती है। आईटी अधिनियम की धारा 10 (14) के तहत छूट का दावा करने के लिए, ऐसे सांसद और विधायक को इस बात का प्रमाण देना होगा कि उन्होंने दावा की गई पूरी राशि को छूट के रूप में खर्च किया है। इस तरह के सचों के लिए सबूत के अभाव में यह राशि आयकर अधिनियम के अनुसार कर योग्य होगी।


विधायकों के वेतन में जमीन-आसमान का अंतर देशके सभी राज्यों की विधानसभाओं के लिए जनता द्वारा ही विषयक चुने जाते हैं। एक ही तरह का कार्य करने के लिए उनके वेतन में जमीन-आसमान का अंतर है। अब सवाल उठता है कि यह अंतर क्यों है ? त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेशऔर मेधालयके विधायकों को 28 हजार रुपये प्रतिमाह का वेतन मिलता है जबकि दिली, मध्य प्रदेश और तेलंगाना में विधायकों कोढाईलाख प्रतिमाह वेतन मिल रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मंदीने पुरेभारतवर्ष में अनेक स्तरोंपर समानता लाने का काम कर रहे हैं जैसे एक देश-एक कानून एक देश-एक टैक्स ऐसे ही विधायक किसी राज्य का क्यों न हो लुना तो जनत के वोटों से ही जाता है फिर उसके वेतन में इतनी विसंगति क्यों?


सांसदों और विधायकों को कितनावेतन मिलता है? लुना तो जनत के वोटों से ही जाता है फिर उसके वेतन में इतनी विसंगति क्यों? संसदों को वेतनलगभगदो लाख रुपये प्रतिमाह वेतन मिलता है। इस वेतन में एक लाख रुपये तो मूल वेतन के होते हैं। इसके अलावा 45000 रुपये कांस्टीट्वेंसी एलाउंसके रूप में दियाजत तय 45,000 रुपये अन्य पार्लियामेंट आफिसएलाउंस के रूप में दिये जाते हैं। इसके अतिरिक्त प्रत्येक सांसदको संसद की कार्रवाई के समय प्रतिदिन 2,000 रुपये के हिसाब सेभता दिया जाता है। विधायकों के वेतनका मामला अलग है। देश सभी राज्यों में विधायकों का वेतन अलग-अलग है। विधायकों को अलग-अलग राज्यों में 25 हजार रुपये प्रतिमाह से लेकर 250 रुपये प्रतिमाह तकवेतन दिया जाता है। सबसे अधिक वेतनतेलंगना राज्य में 2.50 लाख रुपये मिलता है और सबसे कम वेतन त्रिपुरा में 25,890 रुपये प्रतिमाह मिला है। पारिश्रमिक को आयकर होने वाली आय पर कर लगाया जा