मेरी राय

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ऐसे तो अपराधियों पर कसली नकेल


परकसलीनकेल भारीफ आदमी कभी भी अपने को समाज में बदनाम नहीं होने देना चाहता, बेशक इससे उसे कितना भी अर्थिक दंड क्यों न भुगतना पड़े। शरीफ आदमी की तरह अपराधियों का भी अपना एक समान होता है। हो सकता है कि वह बहुत सीमित हो, लेकिन उनके अपने छोटे से समाज में, जहां उसका परिवार रहता है उसमें वह बदनाम व्यक्ति होना नहीं चाहता।


उ.प्र. की योगी सरकार ने लखनऊ में सरकारी व निजी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने व अराजक कार्यवाही करने वाले अपराधियों को हतोत्साहित करने के उद्देश्य से लखनऊ के प्रमुख चौराहों पर उनके फोटो युक्त पोस्टर लगवाये ताकि समाज ऐसे व्यक्ति की लानत मनालत कर सके तथा लोग ऐसे व्यक्तियों से दूरी भी बना लें। किसी भी अपराधी को सुधारने हेतु एवं दूसरों को अपराध करने से रोकने के लिये कोई भी सरकार इससे अच्छा कदम नहीं उठा सकती है। 


समाचार पत्रों के संवाददाताओं से भी राजनेता व सरकारी अधिकारी इसलिये ही डरते हैं कि कहीं समाचार पत्रों व न्यूज चैनल्स उनके गलत कामों को कहीं उनागर न कर दें। और वो कहीं उठनेबैठने लायक ही न रहें। इसीलिये भ्रष्ट राजनेता च अधिकारी समाचार पत्रों के प्रतिनिधियों के आगे पीछे घूमते हैं, नहीं तो समाचार पत्रों व न्यून चैनलों के पास कोई ऐसा कानूनी अधिकार नहीं होता कि वह किसी को सजा दे सके। 


 


प्रदेश सरकार द्वारा इन दंगाइयों के ये फोटो उस सी.सी.टी.वी. व वीडियो से लिये गये हैं, जिनमें ये लोग दंगा करते हुए दिखाई दे रहे हैं। इन दंगाइयों पर, प्रदेश सरकार ने सरकारी व निजी सम्पति की तोड़फोड़ व आगजनी करके नष्ट करने की क्षतिपूर्ति हेतु आर्थिक जुर्माना भी लगाया है। जिसको वसूल करने हेतु नोटिस जारी हो चुके हैं। हो सकता है जुर्माने की राशि सरकारी खजाने में जमा न कराने वाले तत्वों की सम्पत्ति भी कुर्क की जाये। प्रदेश सरकार द्वारा दंगाइयों पर इतनी सख्त व दोहरी कार्यवाही, सरकार द्वारा शायद यो कारण की गई प्रतीत होती है। एक तो ये कि दूसरे अपराधी भविष्य में ऐसी हरकत करने से पहले सौ बार सोचें। दूसरे जनता में भी अपनी सुरक्षा के प्रति थोड़ा भरोसा बड़े। जिन लोगों के पोस्टर चौराहे पर लगे हैं उनमें से किसी एक ने माननीय उच्च न्यायालय में अपनी निजता भंग होने की दुहाई देते हुए, पोस्टर हटवाने की मांग की थी जिसे माननीय न्यायालय ने स्वीकार कर लिया। अदालत के इस निर्णय से प्रदेश के आम आदमी में ऐसे लोगों से अपनी सुरक्षा के प्रति चिंता बढ़ गई है। 


 राय है कि अदालत का अपना कानूनी दृष्टिकोण है, जिसके तहत न्यायालय ने उपरोक्त आदेश दिया, जिसका सभी को पालनकरना चाहिए। लेकिन वहीं दूसरी ओर यह सवाल जरूर उठा है कि क्या इस तरह के कानूनी संरक्षण प्राप्त होने से दगा करने वाले तत्व और निडर नहीं हो जायेंगे।ज तय सड़क पर खुले हथियार लेकर लूटपाट, हत्याएं, आगजनी कर रहे हैं, उन्हें भविष्य के लिये भयभीत करना बहुत जरूरी है। आज पूरे देश में छोटी-छोटी बातों पर, कुछ गुटों द्वारा बड़ी संख्या में एकत्र होकर, भयकावतावरण बनाना आमवात हो गई है। यदि ऐसे अराजक तत्वों को उनके करेकीकठोर सजा नही दिलाई जायेगी तो ये निरकुश हो सकते हैं।


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