मेरी राय
ये हंगामा क्यों है बरपा,'लाल'क्यों हुई दिल्ली
'लाल'क्यों देश की राजधानी दिल्ली में ये हगामा क्यों बरपा है और क्यों 'दिल्ली' लाल हुई। शायद इसका जवाब न तो राजनीतिक पर्टिय देपा रही है और न ही कोर्ट ही इस मामले में कोई आरोप तय करपाया है। देश के दिल दिल्ली के पूर्वी छोर पर तीन दिनों तक जो कुछ हुआ. उसे सुनकर और देखकर सभी का दिलदहल गया। किसी ने अपना पिता खोय, किसी ने बेटाखेया तो किसी का सुहाग उजड़ गया और किसी का नफरत की आग में सब कुछ तबाह हो गया तबाही की भरपाई करने के लिए दिल्ली की केजरीवाल सरकार भले ही लॉलीपॉप थमा देलेकिनकनतोकिसी के बेटे,बाप और सूहागकोवापसलासकती है। आखिर वो कौन लोग थे जिन्होंने दिल्ली में हिस नगा नाचखेला, उनकी पहचान करनी जरूरी है। आम आदमी पार्टी कपदिताहिर हुसैनके मकान पर मौत के सामान काजखीरामिलने के बाद जांच एजेंसी अदलकीर पीटतीनजर आरही है।भजपा नेता कपिल मिश्रा के भडकाऊ भाषण के बाद क्यों दिल्लीको जलने दिया गया, इसकाभीजवाब दिल्लीवासीहीनहीं बल्कि पूरादेशमगरहा है। अकेले कपिल मिश्रा और वहिर हुसैन ही नहीं है, नजाने इनके जैसे और कितने हैं, जिनकी पहचान होना जरूरी है। 1984 से भी बड़ा 2020 कादंगाइतिहास के पन्नों में दर्जहो गया।
पुरानी दिल्ली क्षेत्र में इससे पहले कभी साम्प्रदायिक दंगे नहीं हुए थे। दोनों हीसमुदाय के लोग आपस में मिलजुलकर रहते थे।धारा 370, राममंदिर निर्माण के फैसले के बाद भी दिल्ली ज्ञात रही लेकिन नागरिकता संशोधन कानून और एनपीआर को लेकर मुस्लिम समाज ने केन्द्र सरकार के खिलाफ बिगुल बजा दियादेश के अलग-अलग हिस्सों में इसका विरोध तीन माह से दिनोदिन तेज होता जा रहा है। शहीनबाग जैसे न फित्तने और बाग' दिल्ली के अन्य इलाकों में बन गए।कही सड़क घेरकर तो कहीं मेट्रो स्टेशन के परिसर को ही चरना स्थलबना दिया गया। महिलए और बच्चे भीइनधरनों में विरोध के गवाह बनरहे है।हाथों में तिरगा और मुंह से हिन्दुस्तान जिदाबाद के नारे लगाए जाते हैं साथ ही प्रधानमंत्री व गृहमंत्रीकी खिलाफत की जाती है। बच्चों के मुंह से मोदी-अमित शाह के दफन होने की बात निकलती हैं। यह कैसा विरोध प्रदर्शन है भाई, अपनी बातमनवाने के लिए और भीतरीके होते हैं, फिर हिंसा की बात कहा से आगई।
हालांकि अभी यह बात अभी साफ नहीं हुई है कि दग के पीछे किन लोगों का हाथ था लेकिन इतना जरूर साफ है कि इन दगों की साजिश पिछले कई दिनों से तैयार की जा रही थी।सुरक्षा एजेंसी भी इन तैयारियों को नहीं भाषपाई,जो अयन्त गंभीर विषय है। आईबी.के कर्मचारी अंकित शर्मा के शरीर पर चरघटे के भीतर 400 से ज्यादाक्कूकेवारइसवत की गवाही देते है कि कितनावीभत्स कमजरहोगा,जहा आदमी ही आदमीके खुनकाप्यसाहोगयाहेडकांस्टेबल रतनललकोदगारोकते समयसरेआम गोली मार दी जाती है। दिल्ली दगो में अभीतक सरकारीतरपर 45 लोगों की हत्या की पुष्टि की गई है लेकिन मरने वालों की संख्यासीसे अधिक बताईजरही है।पांव सौ से अधिक वाहन, मकान, दुकान आगके हवाले कर दिये गये।
राय है कि नागरिकत संशोधन कानून का भूत दिखाकर दुनिया के दूसरे देश.हमारे देश के अमन चैनखत्मकरना चाह रहे हैं।नहीं तो जिस कानुन के पीछे जगह-जगह उपद्रव हो रहे हैं, उसमे देश के अन्दर रह रहे मुस्लिम देश के पक्के नागरिक है, उन्हें किसी से नागरिकता बोड़े ही लेनी है। नागरिकता तो उनकी रोकी जाएगीजो भविष्य में दूसरे देशों से आएंगे। इस तरह का कानुन बनाने वाला कोई भारत पहल देश नहीं है। दुनिया के सभी देशों में उनकी सरकारों के कानून के अनुसारही नागरिकता दीजाती है। जिस दूसरे देश के मुस्लिम नागरिकता की सदस्यता अभी रोकी हीन्ही गई है, उस पर विवादकरना कितना उचित है। प्रत्येक देश को अपने ससावनों के अनुसार हीबाहर के नागरिकों को अपने देश में बसाने का अधिकार है,तकि देश के अन्य नागरिकों के अधिकार प्रभक्ति नहो। शाहीन वाग आन्दोलन के विषय में प्रधानमंत्री द्वारा दिया गया यह बयान अब सत्य प्रतीत होता है कि ये आन्दोलन सोग नही बल्कि प्रयोग है। इसी तरह ये दंगे भी एक प्रयोग है, जिसमे दोनों ही पक्षों के न केवल लोगमरे हैं बल्कि अरबो रुपये कीनिजी सम्पतिको भी आग के हवाले किया गया है। अत:देशकी सुरक्षाएजेंसियें को न केवल उनमस्टरमाइडो तक पहुचना है, जो इस तरह की समाजविरोधी हरकतें कर रहे हैं बल्कि सवही लोगों में पहले कीतरह कावह सुरक्षाका विद्यास पैदा भी करना है, नही तो जिस भी व्यक्ति का भी मकान या दुकान जलकर खाक हुआ है, उसकी मरम्मत कराकर पुनः उस मकान में रहने की हिम्मत नहीं कर पाएगा। हो सकता है कि मिक्स आबादी के बीच इस तरह दूसरे समुदाय के लोग अपना-अपना मकान औने-पौने दाम पर बेचकर दुसरे क्षेत्रों में चले जाये तो दिली की सामाजिक समरसताभी समास होजाएगी। जिसका असर पुरे देश पर पड़ेगा। इसलिए सरकार के साथ विपक्षी नेताओं का भी दायित्व बनता है कि वे इन विषम परिस्थितियों में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर देश को बचाने का प्रयास करे तथा दोषी के साथ नहीं, पीड़ित के साथ खड़े हो चाहे वो किसी भी समुदायका हो।